कभी-कभी सबसे खतरनाक वार तलवार से नहीं, बल्कि मिठास से भरा कटोरा करता है। यही बात इस श्लोक में बड़ी सरलता से छिपी हुई है।
छल की मीठी परतें और देवी की सतर्क दृष्टि।
विषय-सूची
- परिचय
- श्लोक, शब्दार्थ और भावार्थ
- श्लोक की पृष्ठभूमि
- धोखे का मनोविज्ञान
- सत्ता और परिवार में सतर्कता
- राजनीतिक संदर्भ
- आधुनिक संदर्भ
- सीख क्या मिलती है
- निष्कर्ष
- प्रश्नोत्तर
- पाठकों के लिए सुझाव
- संदर्भ
परिचय
कमांडक का नीतिसार राजनीति, शासन और मानव व्यवहार को समझने वाली एक व्यावहारिक किताब है। इसमें दिए गए श्लोक आज भी उतने ही उपयोगी हैं जितने प्राचीन काल में थे। इस लेख में हम एक ऐसा श्लोक समझेंगे जिसमें धोखे, सतर्कता और परिवारिक सुरक्षा-तीनों का गहरा संदेश है।
श्लोक
देवी तु कांशीराजेन्द्रं निजवान् रहोगतम् ॥
(कमन्दकीय नीतिसार 7/51)
शब्दार्थ
- लाजान् - लावा / फूला हुआ चावल
- विषेण - विष के साथ
- संयोज्य - मिलाकर
- मधुना - मीठी वस्तु / मधु से
- विलोभितः - मोहित / लालच दिया गया
- देवी तु - देवी ने
- काशीराजेन्द्रम् - काशी के राजा को
- निजवान् - अपने पुत्र
- रहोगतम् - एकांत में बैठे हुए / अकेले
भावार्थ
इस श्लोक में बताया गया है कि किसी दुष्ट व्यक्ति ने फूले हुए चावल में विष मिलाकर और उस पर मधु की मिठास डालकर राजा को मोहित करने की कोशिश की। मिठास हमेशा भरोसा पैदा करती है, लेकिन यही भरोसा कभी-कभी धोखे का पहला कदम होता है। उधर देवी ने जब अपने पुत्र को एकांत में बैठे देखा, तो समझ गई कि उसके साथ कोई खतरा या षड्यंत्र जुड़ा हो सकता है। यह दृश्य बताता है कि माँ की सतर्कता कितनी महत्वपूर्ण होती है, खासकर महल और सत्ता जैसी जगहों पर।
श्लोक की पृष्ठभूमि
यह घटना केवल एक पारिवारिक पल नहीं है; यह राजनीतिक माहौल में छिपे खतरों की ओर संकेत करती है। राजमहल में रिश्ते, संवेदना और विश्वास के पीछे भी स्वार्थ और षड्यंत्र छिपे हो सकते हैं।
धोखे का मनोविज्ञान
धोखा अक्सर क्रोध से नहीं, आकर्षण से शुरू होता है।
- मिठास मन को ढीला कर देती है
- लालच निर्णय लेने की क्षमता को कम करता है
- विष हमेशा कटोरे में नहीं, इरादों में होता है
आज भी कई लोग मीठे बोलों, आकर्षक ऑफरों और दिखावटी व्यवहारों का उपयोग करके दूसरों को नियंत्रित करते हैं।
सत्ता और परिवार में सतर्कता
- शासन का काम केवल बाहरी शत्रु को नियंत्रण करना नहीं है।
- सबसे बड़ा खतरा कई बार भीतर से आता है।
- देवी का अपने पुत्र को एकांत में देखना- राजा के लिए चेतावनी का संकेत है कि सुरक्षा कभी भी हल्की नहीं पड़नी चाहिए, चाहे मामला महल के अंदर का क्यों न हो।
राजनीतिक संदर्भ
राजनीति में छल अक्सर दो तरीकों से आता है:
- भोजन, दान या भेंट के रूप में
- मधुर भाषा, सलाह और तथाकथित मित्रता के रूप में
कमांडक बार-बार चेताते हैं कि हर चीज को दो बार जांचो, खासकर तब जब वह बहुत मीठी लगे।
आधुनिक संदर्भ
- व्यक्तिगत जीवन
- मीठी बातों में छिपे मकसदों को पहचानें
- रिश्तों में लालच और आकर्षण से बचकर निर्णय लें
- सामाजिक जीवन
- समाज में “अच्छा बनने” के नाम पर कई बार स्वार्थ छिपा होता है
- डिजिटल दुनिया
- ऑनलाइन स्कैम भी इसी सिद्धांत पर चलते हैं:
- “कुछ मीठा दो, बदले में विश्वास ले लो।”
सीख क्या मिलती है
- मिठास हमेशा अच्छाई नहीं होती
- जीवन में सतर्कता प्रेम से कहीं अधिक जरूरी है
- विष कभी-कभी मिठाई के भीतर छिपा होता है
- सत्ता और परिवार दोनों में सुरक्षा का दायरा मजबूत होना चाहिए
निष्कर्ष
यह श्लोक केवल इतिहास का हिस्सा नहीं है, यह आज की दुनिया में भी उतना ही उपयोगी है। धोखे की शुरुआत हमेशा आकर्षण से होती है, इसलिए मीठे व्यवहार को भी परखना जरूरी है। देवी की सतर्कता आधुनिक माता-पिता, नेताओं और नागरिकों- सभी के लिए प्रेरणा है।
प्रश्नोत्तर (FAQs)
1. इस श्लोक का मुख्य संदेश क्या है?
छल और धोखे से बचने के लिए सतर्क रहें, चाहे व्यवहार कितना ही मीठा क्यों न हो।
2. इसमें भोजन का उदाहरण क्यों दिया गया है?
क्योंकि भोजन विश्वास का प्रतीक है; जब भोजन में भी विष मिल सकता है, तो अन्य चीजों में सावधानी और भी जरूरी हो जाती है।
3. क्या यह श्लोक आधुनिक जीवन पर लागू होता है?
हाँ, यह आज के सामाजिक, राजनीतिक और डिजिटल व्यवहारों पर भी लागू होता है।
पाठकों के लिए सुझाव
- किसी के मीठे व्यवहार को तुरंत स्वीकार न करें
- निर्णय लेने से पहले तथ्य और इरादों की जांच करें
- बच्चों और परिवार को भी ऐसे उदाहरण समझाएँ
- सत्ता, नेतृत्व और संगठनों में “सुरक्षा पहले” को प्राथमिकता बनाएं