सफलता सिर्फ भाग्य या योग्यता से नहीं मिलती। इसमें सही गुण, उत्साह और लगातार प्रयास होना अनिवार्य है। बृहस्पति ने इसे सरल रूप में बताया है।
विषय-सूची
- परिचय
- श्लोक, शब्दार्थ और भावार्थ
- सफलता के लिए आवश्यक गुण
- आधुनिक जीवन में प्रासंगिकता
- सीख क्या मिलती है
- निष्कर्ष
- प्रश्नोत्तर
- पाठकों के लिए सुझाव
- संदर्भ
परिचय
भारत की प्राचीन दार्शनिक परंपरा में जीवन की सफलता केवल ज्ञान से नहीं, बल्कि गुण और व्यवहार से तय होती है। बृहस्पति ने इस श्लोक में यह बताया कि सफलता पाने के लिए कौन-कौन से गुण व्यक्ति में होने चाहिए।
श्लोक, शब्दार्थ और भावार्थ
श्लोक
शब्दार्थ
- सम्पन्नः - योग्य और गुणों से संपन्न
- प्रकृतिभिः - गुणों और स्वभाव से
- महोत्साहः - महान उत्साह और जोश
- कृतश्रमः - मेहनती, प्रयासशील
- जेतुम् - जीतने वाला
- एषणशीलः - लक्ष्य की ओर उत्सुक
- विजिगीषुः - विजयी होने की इच्छा रखने वाला
- इति स्मृतः - ऐसा माना गया
भावार्थ
बृहस्पति कहते हैं कि सफलता के लिए व्यक्ति में कुछ अनिवार्य गुण होने चाहिए।
- सम्पन्नता (योग्यता और क्षमता) – व्यक्ति में योग्यताएँ, गुण और समझदारी होनी चाहिए।
- महोत्साह (उत्साह और जोश) – केवल योग्यता ही नहीं, ऊर्जा और उत्साह भी जरूरी है।
- कृतश्रम (परिश्रम और प्रयास) – सफलता के लिए लगातार मेहनत आवश्यक है।
- एषणशीलता (लक्ष्य की ओर धैर्य और इच्छाशक्ति) – लक्ष्य की प्राप्ति की तीव्र इच्छा।
- विजिगीषुता (विजय की इच्छा) – जीतने का दृढ़ संकल्प और आत्मविश्वास।
सफलता के लिए आवश्यक गुण
- योग्यता और क्षमता: बिना उचित ज्ञान और कौशल के लक्ष्य मुश्किल है।
- उत्साह और जोश: प्रेरणा और ऊर्जा सतत प्रयास के लिए आवश्यक है।
- परिश्रम और मेहनत: बिना मेहनत के कोई भी सपना पूरा नहीं होता।
- लक्ष्य-साधना: लक्ष्य की ओर निरंतर ध्यान और प्रतिबद्धता।
- विजय की इच्छा: दृढ़ निश्चय और आत्मविश्वास सफलता सुनिश्चित करते हैं।
आधुनिक शासन और जीवन में प्रासंगिकता
बृहस्पति का यह श्लोक सिर्फ प्राचीन राजनीति तक सीमित नहीं है। आज का जीवन, प्रशासन और नेतृत्व भी इन्हीं सिद्धांतों पर चलता है।
- नेतृत्व: योग्य, मेहनती, उत्साही और लक्ष्य-साधक होना आवश्यक।
- प्रशासन: सक्षम अधिकारी, समस्याओं की समझ, मेहनत और विजयी इच्छा।
- शिक्षा और करियर: सीखने की इच्छा, रोज बेहतर बनने की आदत, मेहनत और लक्ष्य का जुनून।
- सेना और सुरक्षा: कौशल, मनोबल, प्रशिक्षण, मेहनत और विजय की इच्छा।
- निजी जीवन: फिटनेस, व्यवसाय, भाषा सीखना, रिटायरमेंट प्लानिंग आदि।
सीख क्या मिलती है
- सफलता केवल भाग्य या पद से नहीं आती।
- योग्यता, उत्साह, मेहनत और लक्ष्य की दिशा में प्रयास अनिवार्य हैं।
- दृढ़ इच्छाशक्ति और विजयी बनने का संकल्प सफलता का मूल है।
निष्कर्ष
बृहस्पति का यह श्लोक हमें यह याद दिलाता है कि सफलता सिर्फ कौशल से नहीं, बल्कि योग्यता, उत्साह, मेहनत और विजयी इच्छाशक्ति से मिलती है।
प्रश्नोत्तर
1. सम्पन्नता का क्या मतलब है?
योग्यता, गुण और क्षमता होना।
2. महोत्साह क्यों जरूरी है?
उत्साह और ऊर्जा सतत प्रयास के लिए जरूरी हैं।
3. विजिगीषुता क्या दर्शाती है?
विजय पाने की दृढ़ इच्छा और आत्मविश्वास।
पाठकों के लिए सुझाव
- अपने जीवन में ये पांच गुण अपनाएँ।
- लक्ष्य के प्रति हमेशा उत्साहित और मेहनती रहें।
- विजयी बनने की इच्छा को अपने मन में बनाए रखें।