षड्रिपुओं पर विजय और सच्ची राज्यशक्ति की कुंजी

कामंदकी नीतिसार के अनुसार, जिन्होंने अपने भीतर के षड्रिपुओं—वासना, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार और ईर्ष्या—को जीत लिया, वे सच्चे विजेता बने। परशुराम ने अपने इंद्रियों को वश में कर जितेन्द्रिय की उपाधि प्राप्त की, जबकि राजा अंबरीष ने अपनी श्रेष्ठ नीतियों से दीर्घकाल तक धरती पर शासन किया। यह लेख इन विषयों पर गहराई से प्रकाश डालता है।


षड्रिपुओं पर विजय और सच्ची राज्यशक्ति की कुंजी


मनुष्य का सबसे बड़ा युद्ध बाहरी शत्रुओं से नहीं, बल्कि अपने भीतर की नकारात्मक प्रवृत्तियों से होता है। कामंदकी नीति सार हमें बताती है कि जो अपने अंदर के षड्रिपुओं को नियंत्रित कर लेता है, वही सच्चा शासक और योग्य व्यक्ति बन सकता है।

भगवान परशुराम (जामदग्न्य) और राजा अंबरीष इसके दो महान उदाहरण हैं।
✔ परशुराम ने अपने क्रोध और प्रतिशोध को साधकर जितेन्द्रिय बनने की महान उपलब्धि प्राप्त की।
✔ राजा अंबरीष ने संतुलित बुद्धि, करुणा और नीतिगत शासन से धरती पर दीर्घकाल तक राज्य किया।

"स्वयं पर विजय पाने वाला ही संसार पर शासन करने योग्य होता है!"


षड्रिपु और उनका प्रभाव

वासना (काम) – आत्मनियंत्रण की आवश्यकता

  • अत्यधिक भोग-विलास व्यक्ति की बुद्धि को भ्रमित कर देता है।
  • इतिहास में कई शासकों का पतन इसी कारण हुआ।
  • संयम और आत्मसंयम ही सच्ची शक्ति है।

सीख: इच्छाओं पर नियंत्रण रखकर ही व्यक्ति अपनी शक्ति को सार्थक दिशा दे सकता है।


क्रोध (रोष) – परशुराम का आत्मसंयम

  • भगवान परशुराम, अपने पिता की हत्या से क्रोधित होकर, क्षत्रियों का संहार करने लगे।
  • परंतु बाद में उन्होंने अपने क्रोध को संयमित कर शांत और न्यायप्रिय जीवन अपनाया
  • इसी कारण वे जितेन्द्रिय (इंद्रियों पर नियंत्रण रखने वाले) बने।

सीख: अनियंत्रित क्रोध व्यक्ति को विनाश की ओर ले जाता है, जबकि नियंत्रित क्रोध शक्ति बन सकता है।


लोभ (लालच) – संतोष का महत्व

  • लालच व्यक्ति को कभी संतुष्ट नहीं होने देता।
  • राजा बलि का उदाहरण लें—उनका लोभ उन्हें पतन की ओर ले गया।
  • राजा अंबरीष ने लोभ से मुक्त होकर अपनी प्रजा के हित में शासन किया।

सीख: सच्ची समृद्धि त्याग और संतोष से आती है, न कि लोभ से।


मोह – विवेक और निर्णय क्षमता

  • मोह व्यक्ति को सच्चाई से भटका देता है।
  • धृतराष्ट्र अपने पुत्रों के मोह में न्याय से अंधे हो गए।
  • अंबरीष ने मोह से परे रहकर न्याय और धर्म का पालन किया।

सीख: मोह के अतिरेक से विवेक नष्ट हो जाता है, जिससे व्यक्ति गलत निर्णय लेता है।


अहंकार – शक्ति का दुरुपयोग

  • रावण अपनी शक्ति के अहंकार में राम का अपमान कर बैठा।
  • कौरवों का अहंकार ही महाभारत के युद्ध का कारण बना।
  • अंबरीष ने विनम्रता को अपनाकर अपना राज्य समृद्ध किया।

सीख: शक्ति का सही उपयोग करने वाला ही सच्चा राजा होता है।


ईर्ष्या – मानसिक अशांति का कारण

  • ईर्ष्या व्यक्ति को कृतघ्न बना देती है।
  • दुर्योधन ने पांडवों से ईर्ष्या की और विनाश का मार्ग चुना।
  • अंबरीष ने सहयोग और सहिष्णुता से राज्य को एकजुट रखा।

सीख: दूसरों की उन्नति देखकर प्रेरणा लें, ईर्ष्या नहीं।


षड्रिपुओं से बचने के उपाय

आत्मसंयम अपनाएं

✔ इच्छाओं पर नियंत्रण रखना सीखें।
✔ भोग-विलास में अति न करें।

धैर्य और सहनशीलता विकसित करें

✔ क्रोध में लिए गए निर्णय अक्सर गलत होते हैं।
✔ संयम और धैर्य से समस्याओं का समाधान करें।

संतोष को अपनाएं

✔ लालच की कोई सीमा नहीं होती।
✔ संतोष ही सच्चा सुख देता है।

न्याय और दयालुता रखें

✔ हिंसा और अत्याचार करने वाला कभी दीर्घकाल तक नहीं टिकता।
✔ न्यायप्रिय और दयालु बनें।

अहंकार छोड़ें

✔ विनम्रता ही मनुष्य को महान बनाती है।
✔ अहंकार व्यक्ति की बुद्धि को नष्ट कर देता है।

विनम्रता बनाए रखें

✔ घमंड व्यक्ति को अकेला कर देता है।
✔ सहयोग और आदर से ही सफलता प्राप्त होती है।


परशुराम और अंबरीष की शिक्षाएँ

परशुराम ने अपने क्रोध पर नियंत्रण पाकर आत्मसंयम और धर्म का मार्ग अपनाया।
अंबरीष ने लोभ, अहंकार और ईर्ष्या से मुक्त रहकर न्यायसंगत शासन किया।
✔ जो व्यक्ति अपने भीतर के षड्रिपुओं को नियंत्रित कर लेता है, वही जीवन में सफल होता है।
✔ संयम, धैर्य, संतोष, न्याय, विनम्रता और सेवा भावना ही सच्चे नेतृत्व की कुंजी हैं।

"जो स्वयं पर शासन करना जानता है, वही दूसरों पर शासन करने का अधिकारी होता है।"


FAQ

Q1: षड्रिपु क्या हैं?

षड्रिपु वे छह दोष हैं जो मनुष्य के पतन का कारण बनते हैं—वासना, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार और ईर्ष्या।

Q2: परशुराम को "जितेन्द्रिय" क्यों कहा गया?

उन्होंने अपने भीतर के क्रोध और प्रतिशोध पर नियंत्रण पाकर आत्मसंयम प्राप्त किया, इसलिए उन्हें जितेन्द्रिय कहा जाता है।

Q3: राजा अंबरीष ने राज्य को समृद्ध कैसे किया?

उन्होंने लोभ, अहंकार और मोह से दूर रहकर धर्म, न्याय और दयालुता के सिद्धांतों पर शासन किया।

Q4: षड्रिपुओं पर विजय पाने का सबसे अच्छा तरीका क्या है?

आत्मसंयम, धैर्य, संतोष और सही मार्गदर्शन अपनाकर व्यक्ति षड्रिपुओं पर विजय प्राप्त कर सकता है।


"सच्ची विजय बाहरी शत्रुओं पर नहीं, बल्कि भीतर के शत्रुओं पर होती है!" 

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