भारतीय राजनीति और शासन पर आधारित प्राचीन ग्रंथों का अत्यधिक महत्व रहा है। इनमें से कामन्दकी का 'नीतिसार' एक अत्यधिक महत्वपूर्ण काव्य है, जो शासन, नीति और कूटनीति के विषय में गहरी समझ प्रदान करता है। यह ग्रंथ राजा के कर्तव्यों, राज्य संचालन के महत्वपूर्ण पहलुओं और शत्रुओं से विजय प्राप्त करने के लिए उपयोग किए जाने वाले उपकरणों पर प्रकाश डालता है। कामन्दकी का यह ग्रंथ विशेष रूप से यह सिखाता है कि शासक को किस प्रकार अपने धन और सेना का सही तरीके से उपयोग करके शासन को सुचारू और प्रभावी बनाना चाहिए। यह ग्रंथ राजा के कर्तव्यों, उनके व्यवहार और प्रजा से उनके संबंधों को स्पष्ट रूप से दर्शाता है। इसमें एक विशेष श्लोक है जो कहता है:
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इस लेख में हम विस्तार से समझेंगे कि कैसे समृद्धि का महत्व लक्ष्मी का आशीर्वाद ही व्यक्ति या राज्य के भाग्य और प्रतिष्ठा को दर्शाता है। अर्थव्यवस्था और सेना राजा के शासन के दो आधार हैं। आधुनिक भारतीय उदाहरण कैसे आज के नेतृत्व और सरकारें इन सिद्धांतों का अनुसरण कर रही हैं। आइए, इस विषय को गहराई से समझें और जानें कि कैसे एक सुदृढ़ कोष और सशक्त सेना ही राजा या नेता की वास्तविक पहचान और समर्थता को स्थापित करती है।
एक शासक के लिए धन और सेना का महत्व
कामंदक ने अपने नीतिसार में यह स्पष्ट रूप से बताया कि समृद्ध खजाना और मजबूत सेना किसी भी शासक के लिए सबसे आवश्यक उपकरण हैं। धन से शासक न केवल अपने राज्य की आर्थिक स्थिति मजबूत कर सकता है, बल्कि वह अपने सैन्य बल को भी मजबूत कर सकता है। एक मजबूत सेना शासक को शत्रुओं से सुरक्षा प्रदान करती है, जबकि समृद्ध खजाना उसे सामाजिक और राजनीतिक संसाधन जुटाने में सक्षम बनाता है।
1.आर्थिक समृद्धि (कोष) का महत्व - राज्य का खजाना उसकी आर्थिक शक्ति का प्रतीक है। एक समृद्ध कोष से निम्नलिखित लाभ होते हैं:
- जनकल्याण योजनाओं का संचालन- शिक्षा, स्वास्थ्य, और बुनियादी ढांचे में निवेश से नागरिकों का जीवन स्तर उन्नत होता है।
- संकटों का सामना- प्राकृतिक आपदाओं या आर्थिक मंदी के समय में आर्थिक स्थिरता बनाए रखना संभव होता है।
- सैन्य खर्च की पूर्ति- आधुनिक हथियारों की खरीद, सैनिकों के वेतन, और प्रशिक्षण में निवेश किया जा सकता है।
- संसाधनों का संचय- एक समृद्ध खजाना शासक को न केवल युद्ध के लिए आवश्यक हथियारों और सैन्य साधनों को खरीदने में मदद करता है, बल्कि यह राज्य के विकास कार्यों, जैसे कि सड़क, पुल, विद्यालय तथा अस्पताल निर्माण में भी सहायक होता है।
- नागरिकों का कल्याण- जब राज्य के पास पर्याप्त धन होता है, तो नागरिकों की भलाई के लिए योजनाएँ आसानी से लागू की जा सकती हैं। इससे नागरिक शासक के प्रति वफादार रहते हैं और सामाजिक स्थिरता बनी रहती है।
- राजनीतिक स्थायित्व- धन का सही प्रबंधन न केवल आंतरिक स्थिरता लाता है, बल्कि बाहरी आक्रमणकारियों के खिलाफ भी रक्षा के साधन उपलब्ध कराता है। नीतिसार में कामंदक यही संदेश देते हैं कि "धन से बढ़े राष्ट्र का परचम, वीरता से वीरता का संगम।"
2. आधुनिक राजनीति में आर्थिक नीतियाँ -
आज के समय में, आर्थिक सुधार, डिजिटल इंडिया, और आत्मनिर्भर भारत जैसी योजनाओं के माध्यम से यह सिद्ध होता है कि देश की ताकत उसके आर्थिक संसाधनों में निहित है।- आत्मनिर्भर भारत- देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए आर्थिक नीतियाँ इस दिशा में काम कर रही हैं कि हर नागरिक और उद्योग संगठित होकर राष्ट्रीय विकास में योगदान दें।
- समृद्धि और विकास- समृद्ध अर्थव्यवस्था न केवल घरेलू विकास में सहायक है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी देश की प्रतिष्ठा बढ़ाती है। यदि खजाने का प्रबंधन कुशलता से किया जाए, तो वह देश के विकास का मूल आधार बनता है।
उदाहरण: आज आर्थिक सुधारों के बाद, भारत की जीडीपी में उल्लेखनीय वृद्धि हुई, जिससे रक्षा बजट में भी वृद्धि संभव हुई और सैन्य आधुनिकीकरण को बल मिला।
- बाहरी आक्रमणों से रक्षा: शत्रु राष्ट्रों या आतंकवादी संगठनों से देश की सीमाओं की सुरक्षा।
- आंतरिक शांति का संरक्षण: विद्रोह या आंतरिक अशांति को नियंत्रित करना।
- कूटनीतिक प्रभाव: अंतरराष्ट्रीय मंचों पर मजबूत सैन्य उपस्थिति से वार्ताओं में प्रभावशीलता बढ़ती है।
- रक्षा और सुरक्षा- जब राज्य में एक मजबूत सेना विद्यमान होती है, तो उसके नागरिकों को आश्वासन मिलता है कि किसी भी बाहरी आक्रमण के समय उन्हें सुरक्षा मिलेगी।
- युद्ध में निर्णायक भूमिका- युद्ध के समय, सैन्य बल ही निर्णायक कारक बनता है। राज्य के सम्मान और अस्तित्व की रक्षा के लिए सेना का होना अनिवार्य है।
- सैन्य अनुशासन- एक संगठित और अनुशासित सेना न केवल युद्ध के समय बल्कि शांतिपूर्ण समय में भी राज्य में व्यवस्था बनाए रखती है।
4. आधुनिक राजनीति में सैन्य सशक्तिकरण- आधुनिक दुनिया में सैन्य सशक्तिकरण न केवल रक्षा के लिए बल्कि कूटनीतिक संबंधों में भी अहम भूमिका निभाता है।
- सैनिक modernisering- भारत में निरंतर अभियांत्रिकी सुधार और तकनीकी उन्नयन के माध्यम से सेना को आधुनिक बनाने पर जोर दिया जा रहा है। यह नीतियां यह दर्शाती हैं कि नीतिसार में उल्लिखित सैन्य शक्ति का महत्व आज भी प्रासंगिक है।
- कूटनीति में सेना का प्रभाव- किसी भी देश की रक्षा क्षमता उसके अंतरराष्ट्रीय संबंधों को भी प्रभावित करती है। जब सेना मजबूत होती है, तो कूटनीतिक वार्ताओं में भी देश की स्थिरता झलकती है, जिससे देश की प्रतिष्ठा और सुरक्षा दोनों सुनिश्चित होते हैं।
उदाहरण: 2016 में उरी हमले के बाद, भारतीय सेना द्वारा की गई सर्जिकल स्ट्राइक ने दिखाया कि मजबूत सैन्य क्षमता से देश अपने हितों की रक्षा कर सकता है और दुश्मनों को स्पष्ट संदेश दे सकता है।
सहयोगी वर्ग और सामाजिक समर्थन
- सहयोगियों का महत्व- नीतिसार में कामंदक ने यह भी बताया है कि यदि आर्थिक और सैन्य दोनों साधनों को सहयोगियों के समर्थन से जोड़ दिया जाए, तो राज्य की जीत निश्चित होती है। यह दृष्टिकोण आज भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।
- सामाजिक और राजनीतिक सहयोगी
- राजनीतिक गठबंधन- शासक को सफलतापूर्वक शासन चलाने के लिए राजनीतिक गठबंधन और समर्थक वर्ग की आवश्यकता होती है। जब विभिन्न वर्गों और समुदायों का समर्थन मिल जाता है, तो शासन स्थिर और सुदृढ़ बन जाता है।
- सामाजिक एकता- जब नागरिकों में विश्वास और सामाजिक एकता होती है, तो वे स्वेच्छा से शासक के सिद्धांतों का पालन करते हैं। इस एकता से राष्ट्रीय विकास की दिशा में कदम बढ़ाना संभव होता है।
- आधुनिक राजनीति में सहयोगी वर्ग- आज के भारत में राजनीतिक दलों और जनता के आंदोलनों में यह स्पष्ट देखा जा सकता है कि शासक और सरकार अपने नीति निर्धारण में जनता, विशेषज्ञों और सहयोगियों का सहयोग लेते हैं।
- जनता के समर्थन से विकास- जब जनता, विशेषज्ञ और विभिन्न सामाजिक समूह सरकार के साथ जुड़ते हैं, तो नीतियाँ अधिक प्रभावी और व्यापक बनती हैं।
- विकास के लिए गठबंधन- सरकार द्वारा निर्मित गठबंधन से राष्ट्रीय परियोजनाओं और सुधारों की गति तेजी से बढ़ती है, जिससे राष्ट्र का समग्र विकास संभव होता है।
- 2019 का उदाहरण – सैन्य और आर्थिक सामर्थ्य का संगम
- सैन्य कार्रवाई और उसकी सफलता- 2019 में भारत-पाकिस्तान के बीच हुए सीमा तनाव और बाद में हुए बालाकोट एयर स्ट्राइक का उदाहरण एक उत्कृष्ट केस स्टडी है।
- सैन्य उत्कृष्टता- इस घटना में भारतीय सैन्य बल की तत्परता और आधुनिक उपकरणों का प्रभावशाली उपयोग देखने को मिला। इस सैन्य कार्रवाई से यह सिद्ध होता है कि यदि शासक के पास एक मजबूत और आधुनिक सेना है, तो किसी भी आतंकवादी या बाहरी खतरे से निपटना संभव है।
- सर्जिकल स्ट्राइक (2016)- भारत ने पाकिस्तान में घुसकर आतंकी ठिकानों पर हमला किया। यह कार्यवाही सैन्य सामर्थ्य और राजनीतिक इच्छाशक्ति का प्रतीक बनी, जिससे भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि भी सुदृढ़ हुई।
- आर्थिक सामर्थ्य का योगदान- इस सैन्य क्षमता को बनाए रखने के लिए देश की मजबूत आर्थिक स्थिति का भी योगदान रहा। रक्षा क्षेत्र में निरंतर निवेश और संसाधनों का संचय इस बात का प्रतीक है कि आर्थिक समृद्धि सैनिकों की तत्परता को और उभारती है।
- राजनीतिक संगति और राष्ट्रीय एकता- सैन्य और आर्थिक सशक्तिकरण के साथ-साथ, सामाजिक और राजनीतिक सहयोग भी एक निर्णायक भूमिका निभाता है।
- राजनीतिक समर्थन- सरकार ने इस कठिन समय में नागरिकों तथा राजनीतिक सहयोगियों से जो समर्थन प्राप्त किया, उसने न केवल राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा दिया बल्कि भविष्य में आने वाले संकटों के लिए एक मजबूत नींव भी रखी।
- राष्ट्रीय संकल्प- इस घटना ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि नागरिक और अधिकारी एकजुट होकर राष्ट्र की सुरक्षा के प्रति जागरूक रहें, तो किसी भी बाहरी आक्रमण का सामना करना आसान हो जाता है।
कोष और दंड का संतुलन: सफलता की कुंजी
राजा को चाहिए कि वह आर्थिक समृद्धि और सैन्य शक्ति के बीच संतुलन स्थापित करे। अत्यधिक सैन्य खर्च से आर्थिक बोझ बढ़ सकता है, जबकि कमजोर सेना से सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है। इसलिए, दोनों का समुचित संतुलन आवश्यक है।
- भारत ने डिजिटल इंडिया और 'मेक इन इंडिया' पहल के तहत रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम बढ़ाए हैं, जिससे आर्थिक विकास और सैन्य सशक्तिकरण दोनों को प्रोत्साहन मिला है।
- आर्थिक क्षेत्र में तेजी से हो रहे सुधारों ने भारत को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाया है।
- इन पहलों ने युवा शक्ति, नवाचार एवं उद्योगिक विकास को बढ़ावा देकर समृद्धि की राह प्रशस्त की है।
- इसी प्रकार, आर्थिक समृद्धि में वृद्धि से रक्षा बजट में सुधार एवं सैन्य आधुनिकीकरण संभव हुआ है।
- आज का भारत और प्राचीन नीतियाँ
- आर्थिक समृद्धि – विकास की गतिशील धारा में आज भारत अपने आर्थिक क्षेत्र में निरंतर सुधार की ओर अग्रसर है।
- केन्द्रीय एवं राज्य स्तर पर सुधार- सरकारी नीतियाँ, जैसे कि 'डिजिटल इंडिया', 'मेक इन इंडिया', और 'स्टार्टअप इंडिया', ने आर्थिक समृद्धि में अत्यधिक योगदान दिया है।
- नवाचार एवं तकनीकी क्रांति- इन पहलों ने उद्योगों में नवाचार को बढ़ावा दिया, जिससे रोजगार के अवसर, तकनीकी उन्नति एवं वैश्विक प्रतिस्पर्धा में वृद्धि हुई है।
- उदाहरण- आर्थिक सुधारों का सीधा प्रभाव रक्षा बजट में भी देखा गया है, जिससे सेना के आधुनिकीकरण एवं राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूती मिली है।
- सशक्त सेना – आधुनिकरण की राह पर
भारत ने आधुनिक रक्षा प्रणाली के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय उन्नति की है।
- तकनीकी उन्नयन- रोबोटिक्स, एआई, और नई तकनीकी प्रणालियों के माध्यम से सेना के उपकरणों में सुधार किया गया है
- सामरिक प्रशिक्षण एवं गठबंधन- नियमित अंतरराष्ट्रीय संयुक्त अभ्यासों तथा सैन्य प्रशिक्षण से, भारत की सेना को वैश्विक मानकों के अनुसार प्रशिक्षित किया जा रहा है।
प्रश्न 1: कामंदक के अनुसार सत्ता के लिए सबसे महत्वपूर्ण तत्व क्या हैं?
उत्तर: खजाना (अर्थ) और सेना (बल) – यही दो तत्व शासक की शक्ति के आधार हैं।
प्रश्न 2: क्या नीतिसार की बातें आज के लोकतंत्र में भी लागू होती हैं?
उत्तर: बिल्कुल। भारत की आर्थिक नीतियाँ, रक्षा नीति और वैश्विक कूटनीति कामंदक के सिद्धांतों से मेल खाती हैं।
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