कमन्दकीय-नीतिसार की संगति-नीति और उसका आधुनिक अर्थ

हम अक्सर कहते हैं कि इंसान अपनी संगति से पहचाना जाता है, लेकिन यह बात हम मानते कब हैं? कमन्दकीय-नीतिसार का यह श्लोक इस एक साधारण-सी लगने वाली बात को राजकाज, नेतृत्व और जीवन के सबसे बड़े सिद्धांत में बदल देता है।

कमन्दकीय-नीतिसार में संगति-नीति और गलत संगति का संदेश दर्शाता 


विषय सूची

  • परिचय 
  • श्लोक, शब्दार्थ,भावार्थ
  • कमन्दकीय-नीतिसार में संगति-नीति का स्थान
  • गलत संगति के परिणाम
  • अभ्यन्तर जन का अर्थ
  • दासी-जन और आधुनिक संदर्भ
  • आधुनिक भारत में लागू होने वाली बातें
  • मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण
  • भारतीय दर्शन में संगति
  • नेतृत्व के सबक
  • निष्कर्ष
  • FAQ
  • पाठकों के लिए सुझाव
  • संदर्भ

परिचय


कमन्दकीय-नीतिसार भारतीय राजनीति, नैतिकता और नेतृत्व पर लिखा गया सबसे सुविचारित ग्रंथों में से एक है।इसमें राजा को यह बताया गया है कि राज्य की सुरक्षा, न्याय और सुशासन केवल हथियारों या सेना के बल पर नहीं चलता। यह उस राजा की समझ, चरित्र और संगति पर भी निर्भर करता है।
इसी संदर्भ में “संगति-नीति” बेहद महत्वपूर्ण है। यह वह कला है जिससे एक नेता तय करता है कि किसे अपने पास रखना चाहिए और किन लोगों से दूरी बनाए रखना ही बेहतर है।
आज की आधुनिक दुनिया में, चाहे प्रशासन हो, राजनीति हो, कॉर्पोरेट क्षेत्र हो या आम नागरिक का निजी जीवन संगति की गुणवत्ता सीधा प्रभाव डालती है। इसी विषय को समझाने वाला कमन्दकीय-नीतिसार का यह प्रसिद्ध श्लोक अक्सर उद्धृत किया जाता है ।

श्लोक


कुहकैर्जटिलैश्चैव मुण्डेश्वाभ्यन्तरो जनाः।
संसर्ग न कचिङ्गच्छेद्वा धैर्दासीजनेः सह॥
(कामन्दकीय नीतिसार 7/46)

शब्दार्थ
कुहकैः - कपटी लोग
रटिलैः - चालबाज़, धूर्त
मुण्डैः - अनैतिक या चरित्रहीन लोग
अभ्यन्तराः जनाः - राजा के भीतर के लोग
संसर्गम् - मेल-जोल
न कश्चित् गच्छेत् - नहीं रखना चाहिए
दासीजनेः - नौकर-चाकर या दासियाँ

भावार्थ
राजा को धोखेबाज़, चालबाज़, अनैतिक और गिरे हुए चरित्र वाले लोगों को अपने भीतर के दायरे में शामिल नहीं करना चाहिए। साथ ही उसे अपने दास-दासियों या सेवकों के साथ अनुचित या अत्यधिक निकट संबंध नहीं रखना चाहिए। यह केवल व्यक्तिगत नैतिकता का निर्देश नहीं है। यह नेतृत्व और राज्य-प्रबंधन की गहरी समझ देता है। क्योंकि गलत संगति न केवल व्यक्ति को कमजोर करती है बल्कि पूरे राज्य को भी नष्ट कर सकती है।


कमन्दकीय-नीतिसार में संगति-नीति का स्थान

संगति-नीति का उल्लेख कई नीति-ग्रंथों में मिलता है, लेकिन कमन्दक इसे एक राजा के लिए सबसे निर्णायक तत्व मानता है। उसके अनुसार, निर्णय लेने की क्षमता सिर्फ बुद्धि से नहीं, बल्कि उस व्यक्ति के आसपास मौजूद लोगों से बनती है।  यदि शासक के आसपास ज्ञानवान, ईमानदार और संतुलित लोग हैं, तो निर्णय सही दिशा में जाते हैं।लेकिन यदि उसके निकट कपटी, चापलूस, छल-कपट में निपुण या लालची लोग हैं, तो धीरे-धीरे नेता गलत दिशा में धकेल दिया जाता है।



गलत संगति के परिणाम

  • नैतिक पतन- जब किसी नेता के आसपास चरित्रहीन या अनैतिक लोग होते हैं, तो उनके विचार और व्यवहार धीरे-धीरे नेता पर भी असर डालते हैं। वह छोटी-छोटी गलतियों को भी सामान्य मानने लगता है।
  • निर्णय क्षमता कमजोर होना- कोई भी निर्णय नेता अकेले नहीं लेता। सलाहकारों, मंत्रियों या नजदीकी लोगों की बातें निर्णय को मोड़ देती हैं। यदि सलाहकार ईमानदार न हों, तो उनके स्वार्थ निर्णयों पर हावी हो जाते हैं।
  • गोपनीयता का नष्ट होना- कामन्दक खास तौर पर चेतावनी देता है कि “अभ्यन्तर जन”-जो सबसे भीतर तक पहुँच रखते हैं, वे अगर गलत स्वभाव के हों, तो राज्य की गोपनीयता खतरे में पड़ जाती है।
  • भ्रष्टाचार और पक्षपात- अच्छी नीति को कारगर बनाने के लिए सही संगति जरूरी है। गलत लोग भीतर तक पहुँच गए तो वे रिश्वत, भ्रष्टाचार और पक्षपात को बढ़ावा देते हैं।
  • नेता की प्रतिष्ठा गिरना - लोग नेता को उसकी संगति से पहचानते हैं। अगर आसपास गलत लोग हों, तो जनता का विश्वास टूटता है, चाहे नेता कितना ही ईमानदार क्यों न हो।


‘अभ्यन्तर जन’ कौन होते हैं?

प्राचीन समय में अभ्यन्तर जन थे-
  • मंत्रिगण
  • प्रधान सचिव
  • विश्वस्त सेवक
  • दूत
  • गुप्तचर
  • निजी सहायक
आज की भाषा में देखें तो-
  • OSD
  • PA
  • सलाहकार
  • केबिनेट सदस्य
  • Inner management team
  • Personal staff

यही लोग राजा या नेता को सबसे ज्यादा प्रभावित करते हैं। इसलिए इनकी गुणवत्ता सबसे महत्वपूर्ण मानी गई है।

दासी-जन का संदर्भ और आधुनिक अर्थ

कमन्दक ‘दासी-जन’ शब्द का उपयोग करते हैं। इसका मतलब केवल महिला सेवक नहीं है। इसका आशय है, वे लोग जो प्रशासनिक रूप से नीचे की पंक्ति में हैं और जिनसे राजा का सीधा, निजी संपर्क संवेदनशील माना जाता है।
इसका मूल संदेश है:
  • अत्यधिक निकटता
  • सीमा-रेखा का टूटना
  • सत्ता और सेवा के संबंध का भ्रम
  • अनुशासन का ह्रास
आज के संदर्भ में इसका अर्थ है-
  • ऑफिस में अनुचित नजदीकियाँ
  • व्यक्तिगत और पेशेवर सीमा रेखाओं का टूटना
  • कार्यस्थल में favoritism
  • Power-distance का दुरुपयोग

आधुनिक भारत के संदर्भ में संगति-नीति

  • प्रशासन में- गलत सलाहकार, गलत OSD या गुप्तचर पूरी नीति को बिगाड़ सकते हैं। ISRO, DRDO, सेना, IAS, IPS—हर क्षेत्र में inner circle की गुणवत्ता सफलता तय करती है।
  • राजनीति में- भारतीय राजनीति में कई बार यह देखने को मिला है कि नेता स्वयं सही होते हुए भी अपने सलाहकारों की वजह से गलत दिशा में चले जाते हैं।
  • र्पोरेट जगत में- CEO की टीम खराब हो तो कंपनी का पतन निश्चित है। गलत HR, गलत CFO या गलत PR टीम स्टेकहोल्डर मूल्य गिर जाता है।
  • निजी जीवन में- हमारी संगति ही हमारे विचार, काम और व्यवहार को बनाती है। इसलिए नकारात्मक, आलोचनात्मक, चुगलखोर और ईर्ष्यालु लोगों से दूरी रखना जरूरी है।


मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण

आज की आधुनिक मनोविज्ञान भी यही कहती है:
  • Social Influence Theory: परिवेश व्यक्ति को बदल देता है।
  • Moral Contagion: नैतिकता संक्रमण की तरह फैलती है।
  • Peer Pressure: समूह की सोच निर्णय पर हावी हो जाती है।

इसका मतलब जो कामन्दक ने 1500 साल पहले कहा, वह आज भी उतना ही सही है।

भारतीय दर्शन में संगति का महत्व

संगति-नीति पर अन्य ग्रंथों में भी यही संदेश मिलता है:
  • गीता: सात्त्विक संगति मन को स्थिर करती है।
  • तिरुक्कुरल: संगति से मनुष्य बनता-बिगड़ता है।
  • पंचतंत्र: गलत संगति से विनाश निश्चित है।
  • तुलसीदास: “बरनां बरनु संगतिपरासा” - संगति से रंग बदल जाते हैं।

नेतृत्व के आधुनिक सबक

कमन्दकीय-नीतिसार आज भी नेतृत्व को यह बातें सिखाता है:
  • सही लोगों को चुनना एक कला है
  • सलाहकारों की गुणवत्ता दिशा तय करती है
  • व्यक्तिगत अनुशासन जरूरी है
  • नेता की प्रतिष्ठा उसकी संगति से बनती है
  • हर निर्णय के पीछे संगति की छाया होती है

निष्कर्ष

कमन्दकीय-नीतिसार का यह श्लोक छोटा है, लेकिन इसका संदेश अत्यंत गहरा है। यदि नेता गलत लोगों से घिर जाता है, तो उसके निर्णय बिगड़ते हैं, उसकी नैतिकता कमजोर होती है और उसका राज्य या संगठन नुकसान झेलता है। इसीलिए, संगति-नीति केवल पुराने समय की बात नहीं है- आज की नेतृत्व संस्कृति का मूल है।

FAQ

1. कमन्दकीय-नीतिसार में संगति-नीति क्यों महत्वपूर्ण है?
क्योंकि गलत संगति राजा के निर्णय, नैतिकता और प्रशासन पर सीधा असर डालती है।
2. ‘अभ्यन्तर जन’ का आधुनिक अर्थ क्या है?
Inner circle-सलाहकार, PA, सचिव, OSD, निजी स्टाफ आदि।
3. क्या यह श्लोक आधुनिक नेतृत्व पर लागू हो सकता है?
हाँ। यह श्लोक आज के प्रशासन, राजनीति, कॉर्पोरेट और निजी जीवन में पूरी तरह लागू होता है।
4. गलत संगति से बचने के उपाय क्या हैं?
सही सीमाएँ, विवेक, पारदर्शिता, और योग्य लोगों को पास रखना।



संगति सिर्फ साथ बैठने भर से नहीं बनती। यह धीरे-धीरे हमारे विचारों, आदतों और फैसलों को आकार देती है। इसलिए संगति चुनना भी एक नेतृत्व कौशल है।

पाठकों के लिए सुझाव

  • अपने inner circle की गुणवत्ता पर ध्यान दें
  • व्यक्तिगत और पेशेवर सीमाएँ बनाएं
  • आदतों पर प्रभाव डालने वाले लोगों की पहचान करें
  • ईमानदार और संतुलित लोगों को प्राथमिकता दें
संदर्भ
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