हर रिश्ते में अपनापन अच्छा लगता है, लेकिन जब बात नेतृत्व या जिम्मेदारी की हो, तो थोड़ा सा संयम बहुत बड़ी सुरक्षा बन जाता है। कमन्दक इसी बात की एक समझदार याद दिलाते हैं।
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| कमन्दकीय नीतिसार में राजा के स्त्री-गृह प्रवेश पर दी गई नीति का चित्रण। |
- परिचय
- श्लोक, शब्दार्थ और भावार्थ
- राजा के लिए मर्यादा का महत्व
- स्त्री-गृह के दो अर्थ
- राजनीतिक विवेक और व्यक्तिगत संबंध
- अनावश्यक प्रवेश क्यों नुकसानदायक है
- विश्वास का संतुलन
- आधुनिक संदर्भ
- नीति-संदेश: क्या सीख मिलती है
- निष्कर्ष
- प्रश्नोत्तर
- पाठकों के लिए सुझाव
- संदर्भ
परिचय
कमन्दकीय नीतिसार भारतीय राजनीति और राज्य-प्रशासन का एक सटीक ग्रंथ है। इसमें राजा के लिए वे व्यवहार बताए गए हैं जो उसकी छवि, निर्णय और राज्य को सुरक्षित रखते हैं। कई लोग सोचते हैं कि इसमें सिर्फ युद्ध और कूटनीति की शिक्षा है, जबकि इसमें व्यक्तिगत मर्यादा और निजी अनुशासन पर भी बहुत साफ सलाह मिलती है। इस ब्लॉग में हम एक ऐसे श्लोक को समझेंगे जो राजा को यह बताता है कि निजी संबंधों के कारण उसकी प्रतिष्ठा और विवेक पर असर न पड़े।
श्लोक
न हि देवीगृहं गच्छेदात्मीयात्सन्निवेशनात् ।
अत्यर्थवल्लभोऽपीह विश्वासं स्त्रीषु न व्रजेत् ॥
(कमन्दकीय नीतिसार 7/50)
शब्दार्थ
- न हि - उचित नहीं
- देवी गृहम् - स्त्री का आंतरिक निवास (रानी/अन्तःपुर)
- गच्छेत - जाना चाहिए
- आत्मीयात् सन्निवेशनात् - अपने निवास से
- अत्यर्थ वल्लभः अपि - अत्यंत प्रिय होने पर भी
- विश्वासं - पूरा भरोसा
- स्त्रीषु - स्त्रियों पर
- न व्रजेत् - नहीं करना चाहिए
भावार्थ
राजा को बिना आवश्यकता स्त्री-गृह में बार-बार नहीं जाना चाहिए। चाहे कोई स्त्री कितनी ही प्रिय क्यों न हो, शासन से जुड़ी जिम्मेदारियों को देखते हुए उसे अंधा विश्वास नहीं करना चाहिए। यह सलाह राजा की मर्यादा, विवेक और राज्य के हित की रक्षा के लिए दी गई है।
राजा के लिए मर्यादा का महत्व
राजा की हर गतिविधि पर लोगों की नजर रहती है। वह निजी तौर पर चाहे जो हो, पर उसकी भूमिका सार्वजनिक होती है। यदि वह बार-बार स्त्री-गृह में जाता है, तो उसकी छवि और निर्णय क्षमता पर सवाल उठते हैं। कमन्दक याद दिलाते हैं कि निजी जीवन और सार्वजनिक जिम्मेदारी, दोनों को समान रूप से संभालना जरूरी है।
स्त्री-गृह के दो अर्थ
- पुराने ग्रंथों में “देवीगृह” शब्द के दो अर्थ मिलते हैं:
- रानी या स्त्रियों का आंतरिक महल
- ऐसा स्थान जहाँ राजा को अत्यधिक मोह होने का खतरा हो
- दोनों ही स्थितियों में अनावश्यक प्रवेश, भावनाओं को निर्णय पर हावी कर सकता है।
राजनीतिक विवेक और व्यक्तिगत संबंध
- राजा का प्रिय होना बुरा नहीं है। लेकिन कमन्दक कहते हैं कि “प्रिय” का अर्थ “निर्णयों पर प्रभाव” नहीं होना चाहिए।
- शासन में संतुलन जरूरी होता है
- न अधिक दूरी, न अधिक निकटता।
अनावश्यक प्रवेश क्यों नुकसानदायक है
कुछ कारण:
- गलतफहमियाँ पैदा होती हैं।
- दरबार में असंतोष फैलता है।
- गुटबाजी शुरू हो जाती है।
- निजी प्रेम का प्रभाव सार्वजनिक फैसलों में घुसने लगता है।
- सुरक्षा जोखिम बढ़ता है।
कमन्दक राजनीति को हमेशा संतुलन में रखने की बात करते हैं।
विश्वास का संतुलन
श्लोक कहता है:
"प्रिय हो, लेकिन अंधा विश्वास मत करो।"
- यह किसी स्त्री के खिलाफ नहीं है।
- यह चेतावनी “विश्वास के नियंत्रण” के बारे में है, क्योंकि सत्ता जितनी ऊँची होती है, उतने ही बड़े जोखिम भी होते हैं।
आधुनिक संदर्भ
आज के समय में “राजा” का मतलब आप CEO, नेता, प्रशासक या कोई भी जिम्मेदार व्यक्ति मान सकते हैं।
इस शिक्षा का संदेश आज भी वैसा ही है:
- निजी संबंधों को पेशेवर निर्णयों पर हावी न होने दें।
- हर संबंध में गरिमा रखें।
- व्यक्तिगत निकटता को कार्य-स्थल के हितों से ऊपर न रखें।
- अत्यधिक अनौपचारिकता, सम्मान कम करती है।
- यह व्यक्तिगत अनुशासन का नियम है।
सीख क्या मिलती है
- जिम्मेदारी वाले व्यक्ति को अपनी छवि का ध्यान रखना चाहिए।
- प्रिय व्यक्ति भी निर्णय पर हावी न हो।
- निजी और सार्वजनिक जीवन के बीच दूरी जरूरी है।
- भावनाओं के अत्यधिक प्रभाव से गलतियाँ होती हैं।
निष्कर्ष
कमन्दकीय नीतिसार नेतृत्व को “संतुलन” की कला सिखाता है। यह श्लोक बताता है कि विवेक, मर्यादा और अनुशासन किसी भी सत्ता या जिम्मेदारी को सुरक्षित रखते हैं। निजी संबंध सम्मान देने के लिए होते हैं, शासन चलाने के लिए नहीं। इस शिक्षा का मूल्य आज के समय में भी उतना ही गहरा है।
प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1: क्या इस श्लोक का उद्देश्य स्त्रियों के प्रति अविश्वास है?
नहीं। यह शासन और विवेक के संतुलन की सीख है, न कि स्त्रियों के खिलाफ टिप्पणी।
प्रश्न 2: क्या आधुनिक प्रबंधक इस शिक्षा को अपना सकते हैं?
हाँ, निजी संबंधों और कार्य के बीच दूरी हर पेशे में जरूरी है।
प्रश्न 3: क्या कमन्दक अधिकार कम करने की बात करते हैं?
नहीं। वे जिम्मेदारी को सुरक्षित रखने की बात करते हैं।
सही निर्णय वही ले पाता है जिसका मन शांत और संतुलित हो। संबंधों की गरिमा और जिम्मेदारी की मर्यादा साथ रहे, यही कमन्दक की नीति है।
पाठकों के लिए सुझाव
- निर्णय लेते समय भावनाओं और तर्क का संतुलन रखें।
- निजी संबंध महत्वपूर्ण हैं, लेकिन उनका प्रभाव सीमित रखें।
- नेतृत्व में अनौपचारिकता हमेशा अच्छी नहीं होती।
