मोक्ष की संकल्पना

मोक्ष की संकल्पना


परिचय: क्या है मोक्ष?

जब जीवन के सभी भौतिक आकर्षण, दुख-सुख के चक्र, और जन्म-मरण की परिक्रमा से आत्मा थक जाती है, तब वह मोक्ष की ओर उन्मुख होती है। मोक्ष का अर्थ है—बंधन से मुक्ति, एक ऐसा अस्तित्व जहां आत्मा पूर्ण रूप से स्वतंत्र, शांत और परम आनंदमयी हो जाती है। यह केवल एक धार्मिक धारणा नहीं, बल्कि जीवन की परम उपलब्धि मानी जाती है।


पृष्ठभूमि: मोक्ष क्यों महत्वपूर्ण है?

हिंदू दर्शन के अनुसार, जीवन के चार पुरुषार्थ होते हैं—धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष
इनमें से मोक्ष अंतिम और सर्वोच्च पुरुषार्थ है, क्योंकि यह आत्मा को संसार के चक्रव्यूह से मुक्त करता है। पुनर्जन्म, मृत्यु, दुख, मोह और भ्रम—all ends here.

“मोक्ष न मिले तो सब कुछ अधूरा है।”—योगदर्शन


मोक्ष की गहराई से समझ

मोक्ष की परिभाषा विभिन्न दर्शनों में

हिंदू दर्शन में मोक्ष

हिंदू शास्त्रों में मोक्ष का अर्थ है आत्मा की पुनर्जन्म के चक्र से मुक्ति। आत्मा ब्रह्म से एकरूप हो जाती है—यानी “अहं ब्रह्मास्मि” की अनुभूति।

प्रमुख सूत्र:

बौद्ध दृष्टिकोण

बौद्ध धर्म में मोक्ष को निर्वाण कहा गया है। यह एक ऐसी अवस्था है जहां इच्छाओं का अंत हो जाता है और दुख की जड़ (अविद्या) समाप्त हो जाती है।

जैन दर्शन में मोक्ष

जैन दर्शन में मोक्ष आत्मा की कर्म बंधन से पूर्ण मुक्ति है। आत्मा अपने शुद्ध स्वरूप में स्थित हो जाती है और सिद्धलोक में वास करती है।

“जब आत्मा कर्मों से मुक्त होती है, तब ही वह मोक्ष को प्राप्त करती है।”


मोक्ष के प्रकार

जीवन-मुक्ति 

जब व्यक्ति जीवित रहते हुए मोक्ष प्राप्त कर ले—यह अवस्था अत्यंत दुर्लभ मानी जाती है।

विदेह-मुक्ति 

मृत्यु के बाद आत्मा संसार से पूर्णतया मुक्त हो जाती है और पुनर्जन्म नहीं होता।


मोक्ष की ओर जाने का मार्ग

ज्ञान मार्ग 

आत्मा और ब्रह्म की पहचान कर, माया का अज्ञान हटाकर मोक्ष की प्राप्ति।
“नेति नेति” का अभ्यास—Not this, not this—वेदांत की मूल पद्धति।

भक्ति मार्ग 

ईश्वर के प्रति पूर्ण समर्पण, प्रेम और भक्ति द्वारा मोक्ष।
प्रेरणादायक वाक्य: “हरि नाम ही तारक मंत्र है।”

कर्म मार्ग 

निस्वार्थ कर्म करना, फल की इच्छा त्यागकर परमात्मा को अर्पित करना।
उदाहरण: श्रीकृष्ण का उपदेश—“कर्म करो, फल की चिंता मत करो।”

राज योग

योग के आठ अंगों का अभ्यास: यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि।


मोक्ष की अनुभूति: क्या यह संभव है?

कुछ लोग मानते हैं कि मोक्ष केवल एक आत्मिक अनुभव है, जबकि कुछ लोग इसे बाहरी दुनिया से जुड़ी अवधारणा मानते हैं। आखिरकार, यह जीवन के उद्देश्यों में से एक है जो प्रत्येक व्यक्ति को आत्मा के शुद्ध रूप में मार्गदर्शन करता है।

“मोक्ष का अनुभव एक आंतरिक शांति है, जिसे केवल स्वयं महसूस किया जा सकता है।”

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